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Published Date | June 16, 2022 |
Category | Education & Jobs |
Page Count | 5 |
PDF File Size | 1.26 MB |
File Language | Hindi |
Original File Source | careerswave.in |
भारत वंदना कविता का भावार्थ Hindi
मातृ वंदना” कविता हिंदी के महान कवि ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी’ द्वारा रचित की एक देशभक्ति कविता है। निराला जी ने इस कविता के माध्यम से हर भारतवासी को अपनी मातृभूमि के प्रति कर्तव्य निभाने के लिए प्रेरित किया है। कवि कहते हैं कि अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र करना और उसके सम्मान के लिए अपना सर्वस्तव अर्पण कर देना ही हर देशवासी का कर्तव्य है।
निराला जी ने अपनी कविता मातृ वंदना के माध्यम से मातृभूमि भारत के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति भाव प्रदर्शित किया है। निराला जी ने अपने जीवन में स्वार्थ भाव तथा जीवन भर के परिश्रम से प्राप्त सारे फल मां भारती के चरणों में अर्पित करते है।
भारत वंदना कविता का भावार्थ
भारत वंदना की व्याख्या करें तो सुनो भारत वंदना कविता का केंद्रीय भाव निराला जी ने इस कविता के माध्यम से हर भारतवासी को अपनी मातृभूमि के प्रति कर्तव्य निभाने के लिए प्रेरित किया है कभी कहते हैं कि अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र करना और उसके सामान के लिए अपना सर्वस्व अस्त्र अपन कर देना ही हर देशवासी का कर्तव्य है।
भारत वंदना
भारत देश महान जहाँ स्वदेशी विचारा यहाँ,
संस्कृति का सम्मान यहाँ, सत्कार यहाँ,संस्कार यहाँ।।
भाग्यवान यह देश हमारा भारत है,
धर्म अहिंसा सत्य ग्रह का स्वागत है,
आध्यत्मिक संदेशों का संचार यहाँ,
संस्कृति का सम्मान यहाँ, सत्कार यहाँ,संस्कार यहाँ।।
हिन्द न हिन्दुस्तान ना बोलो इंडिया,
प्रतिभा रत भारत ने शुभ भारत नाम दिया,
इतिहासों के स्वर्णक्षर साकार यहाँ,
संस्कृति का सम्मान यहाँ, सत्कार यहाँ,संस्कार यहाँ।।
सत्यमेव जयते का नारा जीवित है,
पापाचरण प्रमाद स्वंय तक सीमित है,
पश्चाताप कराकर आत्म सुधार यहाँ,
संस्कृति का सम्मान यहाँ, सत्कार यहाँ,संस्कार यहाँ।।
संस्कृत भाषा संस्कारित संस्कृत से,
सादा जीवन उच्च विचार विचारों से,
वातावरण प्रशांत रूपी सुखी परिवार यहाँ,
संस्कृति का सम्मान यहाँ, सत्कार यहाँ,संस्कार यहाँ।।
शंति,वीर,शिव,ज्ञान और विघासागर,
भाग्यवान बसते हैं भारत वसुधा पर,
संतों का सर्वत्र विराम विहार यहाँ,
संस्कृति का सम्मान यहाँ, सत्कार यहाँ,संस्कार यहाँ।।
– उदित जैन
@_uduaash_ink_
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